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Hariyali Teej Poem

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Hariyali Teej Poem

हरियाली की चादर ओढ़े 
        देखो सावन कैसे बरसा है 
रंग बिरंगे परिधानों में 
        देखो मन कैसे मचला है। 


आखिर क्या खास इस त्यौहार में है 
        जो इसकी हो रही इतनी चर्चा है 
शिवजी और पार्वती का अद्भुत मिलन 
        हरियाली की बाहों में सोने को मन तरसा है। 

हरियाली को समटे प्रकृति मुस्कुरा रही है 
        पहला सावन मायके में, बेटी हरियाली तीज मना रही है। 
पति के इंतज़ार में विरहणी कजरी गा रही है 
        पपैये के समान विदेश में बैठे पति को संदेशा पहुंचा रही है। 

बहुत ही खास तीज का त्यौहार है 
       पति के आगे ही झुकता हर पत्नी का सम्मान है 
कर के समर्पित कुमकुम,रोली,मेहँदी 
        हरियाली के बाहों में फिर पत्नी करती विराम है। 

Hindi Poem on Festival Teej




 


दीपक हु देहरी का
तेरी आँगन में ही महकती हु
सिंदूर तेरे नाम का
तेरे चरणों में खुद को समर्पित करती हूँ।

ये सिन्दूर ये रोली ये कुमकुम
समर्पित तुझको ये सारे संस्कार है
मेहँदी तेरी नाम की
तुझसे ही मेरा सारा संसार है।

गणगौर का त्यौहार है
उत्सव का मोहल्ल है
रब से इकरार है
तेरी उम्र हो सो हज़ार है।।।

You tube Video :-https://youtu.be/rdD7DlcyJu8
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